मराठी - कोमल काया की मोह माया.
हिन्दी - कोमल काया या मोह माया. मराठी - पुनव चांदणं न्हाली. हिन्दी - पुनम की चांदनी में नहायी. मराठी - सोन्यात सजली रुप्यात भिजली. हिन्दी - सोने में सज गयी चांदी में भिग गयी. मराठी - रत्नप्रभा तनु ल्याली. हिन्दी - रत्नों की रोशनी शरीर पर पहन ली. मराठी - ही नटली थटली जशी उमटली चांदणी रंगमहाली. हिन्दी - ये सज गयी धज गयी, जैसे रंगमहल में चांदनी आ गयी. मराठी - मी यौवन बिजली पाहुन थिजली इंद्रसभा भवताली. हिन्दी - मैं यौवन की बिजली, मुझे देखके आसपास की इंद्रसभा भी थम गयी. मराठी - अप्सरा आली, इंद्रपुरीतुन खाली. हिन्दी - अप्सरा इंद्रपुरीसे निचे आ गयी. मराठी - पसरली लाली, रत्नप्रभा तनु ल्याली. हिन्दी - फैल गयी लाली जब रत्नों की रोशनी शरीर पर पहन ली. मराठी - ती हसली गाली चांदणी रंगमहाली. हिन्दी - इस चांदनी रंगमहल में वो गालों में मुस्कुरायी. मराठी - अप्सरा आली पुनव चांदणं न्हाली. हिन्दी - अप्सरा आ गयी पुनम की चांदनी में नहायी. मराठी - छबीदार सुरत देखणी जणु हिरकणी नार गुलजार. हिन्दी - फोटोजेनीक चेहरा देखने लायक जैसे हिरकणी, नारी जैसे गुलजार. [हिरकणी मतलब, ऐसा महीन तराशा हुआ हिरा जो किसी अन्य कठीण पदार्थ काटने के काम आता है] [यहाँ नायिका ये कह रह है की, मेरा चेहरा और शरीर इतना महीन तराशा हुआ है की किसी भी कठीण हृदय के टुकडे कर दे] मराठी - सांगते उमर कंचुकी बापुडी मुकी सोसते भार. हिन्दी - मेरी चोली, जो एक गरीब गुंगी है लेकीन उसके बोझ सहने के अंदाज से वो मेरी उम्र सबको बता रही है. मराठी - शेलटी खुणावे कटी तशी हनुवटी नयन तलवार. हिन्दी - मेरी कमर, ठुड्डी और तलवार जैसे नयन इशारे कर रहे हैं. मराठी - ही रती मदभरली दाजी ठिणगी शिनगाराची. हिन्दी - ये रती मदमस्त जैसे चिंगारी शृंगार की. मराठी - कस्तुरी दरवळली दाजी झुळुक ही वाऱ्याची. हिन्दी - कस्तुरी का सुगंध ऐसे फैल गया है जैसे हवा का झोंका. मराठी - ही नटली थटली जशी उमटली चांदणी रंगमहाली. मराठी - मी यौवन बिजली पाहुन थिजली इंद्रसभा भवताली. मराठी - अप्सरा आली, इंद्रपुरीतुन खाली. मराठी - पसरली लाली, रत्नप्रभा तनु ल्याली. मराठी - ती हसली गाली चांदणी रंगमहाली. मराठी - अप्सरा आली पुनव चांदणं न्हाली.
In India like country we cannot teach # spirituality because the biggest problem in teaching here is people's # prejudice about god and the oldest culture of priesthood which has been existed here on this land for a # millenia .... Not even a single one understood about a meditation from thousand which i am encountered with in my entire life till today just after from the realization of my self and just after i started my life as my self not as an ego but as a self.... Eveywhere there is an inferiority of loosing # identity in people's attention, jealousy at nearest neighbour about small things and for a mundane misconceptions and lack of attention to ones' own # silence inside. Looking at gadgets, accumulated knowledge, persona's, property, penny (PPP) of others. I just get exhausted by being a part of many arguments about the simple adaptation of # materialistic way of living as westerners doing ...
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